धानापुर, हिन्दुस्तान संवाद । कृषि एवं ग्रामीण विकास के उत्थान के लिए कार्य कर रही गैर शासकीय संगठन फाउंडेशन फॉर एडवॉसमेंट ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (फार्ड) के तत्वावधान में रविवार को धानापुर के खड़ान में किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें 120 किसान शामिल हुए। किसानों को धान की सीधी बोआई से होने वाले फायदे व कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी दी गई। इस मौके पर बीएचयू के पूर्व कुलपति डॉ. पंजाब सिंह ने बताया कि धान की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है। अब किसानों को धान की रोपाई के लिए श्रमिकों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। रोपाई का काम अब कम लागत में मशीन करेगी। इससे किसानों की आय में इजाफा होगा। धान की रोपाई की मशीन की कीमत एक लाख निर्धारित की गई है। जो बैटरी और इंजन दोनों से चलेगी। किसान खेतों की रोपाई के साथ ही अन्य कृषकों के खेतों की भी मशीन से रोपाई कर आय बढ़ा सकते हैं। यह मशीन वर्ष 2024 से मार्केट में आसानी से उपलब्ध होगी। शिवनंदम फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक रमेश सिंह ने किसान गोष्ठी का शुभारंभ किया। इस मौके पर बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो आरएम सिंह, एलाइविंग सॉल्यूशन प्राइवेट कम्पनी के डायरेक्टर गौरव सिंह, डा. उमेश सिंह, प्रो रमेश चंद्र, एसके सिंह, दशरथ सिंह, राजेश सिंह, श्रीराम सिंह एव किसान अंजनी सिंह, बचाऊ सिंह, ओम प्रकाश सिंह, पिंटू शर्मा, मनोज सिंह, राजवंश सिंह, काशीनाथ सिंह, रमेश सिंह, श्रीराम सिंह मजूद रहे। पर्यटन प्रबंधन विभाग बीएचयू के डॉ अनिल कुमार सिंह ने संचालन किया। कृषि विज्ञान केंद्र चंदौली के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. एसपी सिंह ने धान के सीधी बोआई के बारे में बताया। उन्होने सुपर सीडर एवं हैपी सीडर के फायदों के बारे में जानकारी दिया। वहीं, बीएचूय के पीआरओ डॉ. राजेश सिंह ने कार्यों के बारे में किसानों को जानकारी दी। डॉ. उमेश सिंह ने किसान गोष्ठी कार्यक्रम के रूपरेखा के बारे में बताया। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के डॉ गोपाल कृष्ण पांडेय ने किसानों को धान की सीधी बोआई से लेकर कटाई तक की जानकारी दी। बताया कि वाराणसी नेगुरा गांव के खेत में धान की सीधी बोआई का प्रदर्शन किया गया था।
कृषि एवं ग्रामीण विकास के उत्थान में प्रयत्नशील गैर शासकीय संगठन फाउंडेशन फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (फार्ड) की ओर से रविवार को धानापुर क्षेत्र के खड़ान गांव में किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें 120 किसानों ने प्रतिभाग किए। शिवनंदम फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक रमेश सिंह ने गोष्ठी का शुभारंभ किया। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. एसपी सिंह ने किसानों को धान के सीधी बुआई के बारे में बताया। साथ ही सुपर सीडर व हैप्पी सीडर के फायदों की जानकारी दी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राजेश सिंह ने फार्ड फाउंडेशन के कार्यों के बारे में बताया। फार्ड फाउंडेशन के ट्रस्टी डॉ. उमेश सिंह ने किसान गोष्ठी कार्यक्रम की रूपरेखा और उद्देश्य की विस्तृत जानकारी दी। वहीं कृषि विज्ञान संस्थान (बीएचयू) के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. आरएम सिंह ने किसानों को धान की सीधी बुआई की जानकारी दी। कृषि वैज्ञानिक डॉ. पंजाब सिंह ने बताया कि अब धान की रोपाई के लिए श्रमिकों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। रोपाई का काम अब कम लागत में मशीन करेगी। इससे किसानों की आय में इजाफा होगा। अंत में एलाइविंग सॉल्यूशन प्राइवेट कंपनी के डॉयरेक्टर गौरव सिंह ने गांव में राइस ट्रांसप्लांटर द्वारा धान की रोपाई कर किसानों को दिखाया। इस मौके पर डॉ. उमेश सिंह, प्रो रमेश चंद्र, एसके सिंह, दशरथ सिंह, राजेश सिंह, श्रीराम सिंह सहित किसान अंजनी सिंह, बचाऊ सिंह, ओमप्रकाश सिंह, पिंटू शर्मा, मनोज सिंह, राजवंश सिंह, काशीनाथ सिंह, रमेश सिंह, श्रीराम सिंह आदि रहे। संचालन व प्रबंधन बीएचयू के पर्यटन प्रबंधन विभाग के डॉ. अनिल कुमार सिंह ने किया।
धान की रोपाई करने की मशीन की कीमत एक लाख रुपये निर्धारित की गई है। यह बैटरी और इंजन दोनों से चलेगी। किसान अपने खेतों की रोपाई के साथ ही अन्य कृषकों के खेतों की भी मशीन से रोपाई कर आय बढ़ा सकते हैं। वर्ष 2024 से मशीन मार्केट में आसानी से उपलब्ध होगी।
वाराणसी स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के डॉ. गोपाल कृष्ण पांडेय ने किसानों को धान की सीधी बुआई से लेकर कटाई तक की जानकारी दी। बताया कि 28 जून, 2023 को अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान द्वारा जिले के नेगुरा गांव में धान की सीधी बुआई का किसान के खेत पर प्रदर्शन किया गया था।
युवा इनोवेटर गौरव सिंह ने बताया कि उन्होंने यह अनुसंधान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के आत्मनिर्भर भारत से प्रेरित होकर और प्रोफेसर पीके मिश्रा के मार्गदर्शन में तैयार किया है.
अभिषेक जायसवाल, वाराणसी
कोरोना की दूसरी लहर के बीच पूरा देश ऑक्सिजन की किल्लत से जूझ रहा था। अस्पतालों में ऑक्सिजन की कमी को दूर करने के लिए कहीं ऑक्सिजन प्लांट लगाए गए तो कहीं विदेश से ऑक्सिजन कंसंट्रेटर मंगाया गया। इन सब के बीच बीएचयू के पूर्व स्टूडेंट और युवा इनोवेटर गौरव सिंह ने देसी ऑक्सिजन कंसंट्रेटर तैयार किया है।
एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में गौरव सिंह ने बताया कि इस देसी ऑक्सिजन कंसंट्रेटर की क्षमता 15 एलएमपी है, जिससे एक साथ तीन मरीजों को ऑक्सिजन उपलब्ध कराया जा सकता है। इस ऑक्सिजन कंसंट्रेटर को बनाने में डेढ़ महीने का समय लगा है और करीब 61 हजार रुपये की लागत आई है।
बाजार में है डेढ़ लाख रुपये कीमत
गौरव ने बताया कि वर्तमान समय मे जो भी विदेशी ऑक्सिजन कंसंट्रेटर है, कैपिसिटी के मुताबिक उसकी कीमत 80 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक है। 15 एलएमपी के ऑक्सिजन कंसंट्रेटर की किमत करीब सवा लाख से डेढ़ लाख रुपये तक है, लेकिन इस देसी ऑक्सिजन कंसंट्रेटर को बाजार में 60 हजार रुपये में बेचा जा सकता है। अभी बाजार बंद होने के कारण कई सामान महंगे कीमत पर मिले हैं, जिससे इसे बनाने में 61 हजार रुपये लागत आई है। स्थितियां सामान्य होने पर 40 हजार में इसे तैयार कर लिया जाएगा।
आत्मनिर्भर भारत अभियान से हैं प्रेरित
गौरव सिंह ने बताया कि प्रफेसर पी के मिश्रा के मार्गदर्शन और पीएम के आत्मनिर्भर भारत अभियान से प्रेरित होकर ये देसी ऑक्सिजन कंसंट्रेटर बनाया है। गौरव ने बताया कि जल्द ही इस ऑक्सिजन कंसंट्रेटर को बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लाइसेंस के लिए सरकार को एप्लिकेशन दिया गया है।
वाराणसी, जेएनएन। तालाब, नहर व नदियों से बाकी पंपों के मुकाबले कहीं ज्यादा पानी निकाल कर तेजस अब आपके खेतों को सिंचेगा। तेजस एक स्मार्ट पंप है, जिसे आइआइटी-बीएचयू के पूर्व छात्र गौरव सिंह ने ईजाद किया है। यह लो मेंटनेंस पाड या कैनाल वाटर पर आधारित है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि सामान्य पंपों के मुकाबले यह स्मार्ट पंप कम ईधन लेकर तीव्र गति से अधिक पानी का सप्लाई करता है। वहीं बाकी के ब्रांडों की तुलना में आधे दाम पर यह किसानों को उपलब्ध भी होगा। उनके स्टार्टअप को आइआइटी-बीएचयू के आरकेवाइवी-रफ्तार के अंतर्गत इन्क्यूबेट भी किया जा चुका है।
किसानों के लिए है काफी सुलभ गौरव पेशे से साफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उन्हें इसे बनाने का विचार पिछले साल अगस्त में आया था व दिसंबर तक उन्होंने तैयार कर लिया। उन्होंने बताया कि तेजस को बिलकुल किसानों की सुलभता के मुताबिक ही डिजाइन किया गया है। इसे गैसोलीन या केरोसिन दोनों से चलाया जा सकता है। इसे एक व्यक्ति अकेले ही स्टार्ट कर सकता है। इसमें किसी बेल्ट या पुली का उपयोग नहीं किया जाता। वहीं यह काफी हल्का होता है, जिससे आसानी से कहीं भी लगाया जा सकता है।
यह खूबी इस स्मार्ट पंप को पोर्टेबल बनाती है। इसका प्रयोग गंगा के किनारे के किसानों द्वारा भी किया जा सकता है। वहीं गंगा के किनारों पर साफ-सफाई के लिए भी यह काफी कारगर सिद्ध होगी। गौरव ने इसके निर्माण के लिए लहरतारा के समीप एक वर्कशाप बनाया है, जहां पर उनके साथ किसान राजेंद्र विश्वकर्मा काम कर रहे हैं। इसी के साथ ही यह टीम गांव-गांव में जाकर इसका प्रदर्शन कर किसानों को प्रशिक्षण भी दे रही है। एक नजर पंप की क्षमता पर पंप 4.5 इंच का इनपुट लेकर आउटपुट भी इतना ही देता है। एक मिनट में 2143 लीटर व एक घंटे में एक लाख 28 हजार 580 लीटर पानी निकालता है, जबकि दूसरे ब्रांड में यह क्षमता महज 87 हजार लीटर में ही सिमट जाती है।
आईआईटी बीएचयू के इनक्यूबेशन प्रोग्राम के तहत तैयार हुए पंप का नाम 'तेजस' है. इससे किसानों को फायदा तो मिलेगा, साथ ही कम ईंधन की खपत में ज्यादा पानी से फसलों की बुवाई कर सकेंगे. वाराणसी: आईआईटी बीएचयू (IIT BHU) के रिसर्च से तैयार हुए एक पंप से किसानों के पानी की समस्या ना सिर्फ दूर होगी, बल्कि कम ईंधन की खपत में उन्हें ज्यादा से ज्यादा पानी खेतों के लिए मिल सकेगा. खास बात यह है कि आईआईटी बीएचयू के इनक्यूबेशन प्रोग्राम (Incubation program) के तहत तैयार हुए पंप का नाम 'तेजस' है. इस तेजस पंप को चलाने के लिए इसमें पानी भरने की भी आवश्यकता नहीं होती. एक व्यक्ति की जरूरत के साथ 6-7 इंच गड्ढे में उपलब्ध पानी के स्तोत्र के सहारे इसको किसान ऑपरेट कर सकते हैं. डेढ़ साल की मेहनत का है नतीजाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की बात कही है. इस दिशा में किसानों के हित में बहुत से प्रयास किए जा रहे हैं. वाराणसी में आईआईटी बीएचयू की तरफ से भी इनक्यूबेशन प्रोग्राम के तहत किसानों के इन्वेस्टमेंट को कम कर उन्हें फायदा देने के उद्देश्य से इस पंप की रिसर्च डेढ़ सालों से चल रही थी. आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर और केमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के हेड रह चुके प्रोफेसर पीके मिश्रा के मार्गदर्शन में भारत सरकार की तरफ से दिए गए फंड से पंप की टेस्टिंग के डेढ़ साल के प्रयास के बाद इस ऐसा पंप को तैयार किया गया है. जो कम इन्वेस्टमेंट में किसानों की आय को न सिर्फ बढ़ाएगा, बल्कि कम मेहनत और कम खर्च में उनकी फसलों के लिए फायदेमंद भी साबित होगा. कम ईंधन में मिलेगा ज्यादा पानीइस प्रोग्राम से जुड़े इंजीनियर का कहना है कि इस पंप को बनाने में लगभग डेढ़ साल का वक्त लगा है. किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से कम इन्वेस्टमेंट में बड़े फायदा के लिए इस पंप का निर्माण कराया गया है. 2020 के ट्रेडिशनल पंप की टेक्निकली बात की जाए तो 5 एचपी से ऑपरेट होने वाले पंप चीन इंच का इनपुट लेते हैं और ढाई इंच का इनपुट देते हैं, लेकिन आईआईटी बीएचयू के इनक्यूबेशन सेंटर की ओर से तैयार हुए इस पंप को ढाई एचपी के पावर से चलाया जा सकता है.किसानों को होगा अधिक फायदाकम पावर में संचालित होने के बाद भी यह पंप साढ़े 4 इंच का इनपुट और आउटपुट देता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि पहले किसान 1 लीटर ईंधन खर्च करते थे और अब महज 650 एमएल ईंधन खर्च कर भरपूर पानी पा सकेंगे. पंप की मदद से किसानों को प्रति मिनट 1500 लीटर पानी की जगह 2480 लीटर पानी मिल सकेगा, जो खेती के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा.
https://www.etvbharat.com/hindi/uttar-pradesh/state/varanasi/iit-bhu-designed-tejas-pump/up20210103090620864
वाराणसी. बीएचयू आईआईटी (BHU IIT) के एक प्रोफ़ेसर और उनके एक सहयोगी ने एक ऐसा उपकरण तैयार किया है, जिसके ज़रिए कोरोना योद्धा घर और ऑफिस पहुंचकर अपने पर्स, मोबाइल, चाभी या दूसरी किसी वस्तु को संक्रमण मुक्त कर सकते हैं. इससे सामान खराब भी नहीं होगा. यह उपकरण अल्ट्रावायलेट केटेगरी सी की किरणों के सिद्धांत पर आधारित है, जो कि बैक्टीरिया और वायरस को चंद सेकंड में खत्म कर देती है. आमतौर पर कोरोना संक्रमण के इस माहौल के बीच में आप ऑफिस या फिर फील्ड में किसी भी चीज को छूने से पहले या बाद में हाथों को सैनिटाइज कर लेते हैं और मास्क लगाते हैं. घर पहुंचते हैं तो आप बाहर से आए हुए कपड़ों को एक किनारे रख कर नहाकर खुद को संक्रमण मुक्त कर लेते हैं, लेकिन आपकी जेब में रखा हुआ पर्स, आपकी आंखों में लगा चश्मा या फिर आपका मोबाइल, पेन, चाभी या दूसरी वस्तुएं सैनिटाइज नहीं हो पाती. अगर करने की कोशिश भी की जाए तो कई बार इनके खराब होने की आशंका रहती है. ऐसे में कोरोना के संक्रमण को तोड़ने की कड़ी कहीं ना कहीं छूट जाती है. इसी समस्या को देखते हुए आईआईटी बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के एचओडी और एक इनक्यूबेटी ने एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो आपके इन सामानों को भी घर में घुसते ही वायरस मुक्त कर देगा. माइक्रोवेव की बॉडी से बनाया गया पहली नजर में आपको यह एक माइक्रोवेव नजर आएगा, लेकिन 21 दिन के लॉकडाउन के कारण इसकी बॉडी को माइक्रोवेव की बॉडी से बनाया गया है. आईआईटी केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के हेड डॉक्टर पीके मिश्रा और बीएचयू आईआईटी के इनक्यूबेटी गौरव सिंह ने मिलकर यह उपकरण तैयार किया है. माइक्रोवेव की बॉडी का इस्तेमाल करते हुए ऊपर से नीचे की तरफ यूवीसी ट्यूब को लगाया गया है. यूवीसी ट्यूब को कंट्रोल करने के लिए ट्यूब सिलेक्टर हैं, जिसकी मदद से आप ऊपर से नीचे या दोनों को एक साथ जला या बुझा सकते हैं. इसके साथ ही इसमें एक टाइमर का भी उपयोग किया गया है, जिसकी मदद से हमें कितनी देर तक मशीन को संचालित करना है यह कंट्रोलिंग भी रहती है. इस रिसर्च पर 15 दिन तक मंथन चला, जिसके बाद 3 दिनों में यह उपकरण बनकर तैयार हुआ है. इस माइक्रोवेव को चालू करते ही ये क़िरणें वायरस को ख़त्म कर देती हैं. यह उपकरण अल्ट्रावायलेट कैटेगरी 'सी' के सिद्धांत पर आधारित है. यह किरणें बैक्टीरिया या वायरस को चंद पल में नष्ट कर देती हैं. कोरोना योद्धा के लिए ये बेहद कारगर डॉक्टर पीके मिश्रा का मानना है कि कोरोना योद्धा के लिए ये बेहद कारगर है. कोशिश है कि जल्द से जल्द यह मशीन बाजार में आ सके, ताकि कोरोना से जंग लड़ रहे हमारे योद्धा घर जाकर भी न केवल वह महफूज रहें, बल्कि उनका परिवार भी सुरक्षित रहे. इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले इनक्यूबेटी गौरव सिंह कहना है कि इसकी कीमत करीब 5000 रुपए होगी. फिलहाल यह प्रोजेक्ट सर्टिफिकेट के लिए भारत सरकार को भेज दिया गया है.
Varanasi, April 30 : The Malviya Centre for Innovation, Incubation and Entrepreneurship (MCIIE) at the IIT-BHU has developed an ultraviolet germicidal irradiation (UVGI) system, which has been installed at the Covid-19 lab of the BHU Hospital for sanitisation. Prof P.K. Mishra, project coordinator, said, "Realising the urgent need to develop low-cost, multi-purpose instruments for effective sanitisation amid the coronavirus pandemic, the MCIIE came up with this ready-to-use UVC-based product. The centre has developed a wide range of UVC systems and our advanced systems assure elimination of biological contaminants, like viruses, bacteria, spores and allergens, by effectively treating moving air with UVC radiation." As per the latest research, UVC light-based sterilizer can kill a range of micro-organisms, like viruses (including SARS syndrome, coronavirus and Nipah virus) and bacteria in a short time. The system has a series of UV lamps (depending upon size of place of installation), each having 22 watts capacity. According to Mishra, any virus can be deactivated up to 99 per cent by the UVGI dose of 2,400 microwatt sec/cm square. This system can produce UVGI dose of more than 2,400 microwatt sec/cm square to ensure complete inactivation of coronavirus. It also works on auto timer and its visual red/green indicator ensures safety of the user against the UV dose. The system can be used in hospitals, operation theatres, ICUs and IVF labs, microbiological labs, special wards, dental facilities, laboratories, pharmaceutical units and patient care wards. /IANS
Varanasi, April 30 (SocialNews.XYZ) The Malviya Centre for Innovation, Incubation and Entrepreneurship (MCIIE) at the IIT-BHU has developed an ultraviolet germicidal irradiation (UVGI) system, which has been installed at the Covid-19 lab of the BHU Hospital for sanitisation.
Prof P.K. Mishra, project coordinator, said, "Realising the urgent need to develop low-cost, multi-purpose instruments for effective sanitisation amid the coronavirus pandemic, the MCIIE came up with this ready-to-use UVC-based product. The centre has developed a wide range of UVC systems and our advanced systems assure elimination of biological contaminants, like viruses, bacteria, spores and allergens, by effectively treating moving air with UVC radiation."
As per the latest research, UVC light-based sterilizer can kill a range of micro-organisms, like viruses (including SARS syndrome, coronavirus and Nipah virus) and bacteria in a short time.
The system has a series of UV lamps (depending upon size of place of installation), each having 22 watts capacity.
According to Mishra, any virus can be deactivated up to 99 per cent by the UVGI dose of 2,400 microwatt sec/cm square. This system can produce UVGI dose of more than 2,400 microwatt sec/cm square to ensure complete inactivation of coronavirus.
It also works on auto timer and its visual red/green indicator ensures safety of the user against the UV dose.
The system can be used in hospitals, operation theatres, ICUs and IVF labs, microbiological labs, special wards, dental facilities, laboratories, pharmaceutical units and patient care wards.
Source: IANS
NEWS Web Link
https://www.socialnews.xyz/2020/04/30/mciie-develops-low-cost-uvgi-system-to-fight-coronavirus/
Varanasi: An Ultraviolet Germicidal Irradiation (UVGI) system developed at the Malaviya Centre for Innovation, Incubation and Entrepreneurship (MCIIE) of IIT-BHU has been installed in the COVID lab of the BHU hospital for sanitization.
“Realizing the urgent need to develop low-cost, multi-purpose instruments for effective sanitization amid the coronavirus pandedmic, the MCIIE came up with innovative ready-to-use UVC-based products,” said the coordinator Prof PK Mishra. The centre has developed a wide range of UVC systems, he said adding, “Our advanced systems assure the elimination of biological contaminants such as viruses, bacteria, spores and allergens by effectively treating moving air with UVC radiation”. As per latest research, UVC light-based sterilizer can kill a range of microorganisms such as viruses (including SARS syndrome coronavirus and nipah virus) and bacteria in a short period. Mishra said that the system has a series of UV lamps (depending on size of place of installation), each having a capacity of 22 watts.
According to him, any virus can be deactivated up to 99% by the UVGI dose of 2400 microwatt sec/cm square. However, this system can produce UVGI dose of more than 2400 microwatt sec/cm square to ensure complete inactivation of coronavirus. This system also works on auto timer, and its visual red/green indicator ensures safety of the user against the UV dose.
The system can be used in hospitals, operation theatres, ICU and IVF labs, microbiological labs, special wards, dental facilities, laboratories, pharmaceutical units, patient care wards.
NEWS Web Link
MCIIE develops low-cost UVGI system to fight coronavirus
Varanasi, April 30 (IANS) The Malviya Centre for Innovation, Incubation and Entrepreneurship (MCIIE) at the IIT-BHU has developed an ultraviolet germicidal irradiation (UVGI) system, which has been installed at the Covid-19 lab of the BHU Hospital for sanitisation.
Prof P.K. Mishra, project coordinator, said, "Realising the urgent need to develop low-cost, multi-purpose instruments for effective sanitisation amid the coronavirus pandemic, the MCIIE came up with this ready-to-use UVC-based product. The centre has developed a wide range of UVC systems and our advanced systems assure elimination of biological contaminants, like viruses, bacteria, spores and allergens, by effectively treating moving air with UVC radiation."
As per the latest research, UVC light-based sterilizer can kill a range of micro-organisms, like viruses (including SARS syndrome, coronavirus and Nipah virus) and bacteria in a short time.
The system has a series of UV lamps (depending upon size of place of installation), each having 22 watts capacity.
According to Mishra, any virus can be deactivated up to 99 per cent by the UVGI dose of 2,400 microwatt sec/cm square. This system can produce UVGI dose of more than 2,400 microwatt sec/cm square to ensure complete inactivation of coronavirus.
It also works on auto timer and its visual red/green indicator ensures safety of the user against the UV dose.
The system can be used in hospitals, operation theatres, ICUs and IVF labs, microbiological labs, special wards, dental facilities, laboratories, pharmaceutical units and patient care wards.
--IANS
NEWS Web Link
वाराणसी [मुहम्मद रईस]। डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ जहां कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज करने में जुटे हैं, तो वहीं पुलिस गली-गली में मुस्तैद है। असल में ये कोरोना योद्धा घर-परिवार की फिक्र छोड़ मैदान-ए-जंग में इसलिए कूदे हैं कि आमजन अपने घरों में ही महफूज रहें। अब आइआइटी-बीएचयू ने अल्ट्रावायलेट किरणों को भी इन योद्धाओं की मददगार बना जंग को थोड़ा आसान बना दिया है। आइआइटी-बीएचयू स्थित महामना सेंटर फार इनोवेशन इन्क्यूबेशन एंड इंटरप्रेन्योरशिप के इन्क्यूबेटी गौरव सिंह ने सेंटर के चेयरमैन व केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के हेड प्रो. पीके मिश्रा के सहयोग से ऐसा उपकरण तैयार किया है, जो मोबाइल, पर्स, की-रिंग आदि को न सिर्फ पूरी तरह संक्रमण मुक्त कर देगा, बल्कि खराब भी नहींहोने देगा। यह उपकरण अल्ट्रावायलेट-सी किरण सिद्धांत पर आधारित है। इससे हर तरह के बैक्टीरिया एवं वायरस पलक झपकते ही समाप्त हो जाते हैं।
इस तरह तैयार हुआ उपकरण
15 दिन के मंथन व तीन दिनों की मेहनत के बाद यह उपकरण पूरी तरह तैयार हुआ, जिसे बनाने में करीब पांच हजार रुपये खर्च हुए। माइक्रोवेब ओवन की बॉडी का इस्तेमाल करते हुए ऊपर से नीचे की तरफ अल्ट्रावायलेट-सी ट्यूब को लगाया गया है। टाइमर की मदद से मशीन का संचालन नियंत्रित किया जाता है। हाल ही में इस प्रोजेक्ट को काउंसिल ऑफ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की सूची में शामिल किया गया।
इस तरह आएगा काम
कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात में ऑफिस या फील्ड में किसी भी वस्तु को छूने से पहले व बाद में हाथों को सैनिटाइज कर लिया जाता है। लोग मास्क का प्रयोग भी करते हैं। घर पहुंचने पर कपड़ों को एक किनारे रख स्नान कर खुद को संक्रमण मुक्त भी कर लेते हैं। मगर जेब में रखा पर्स, सनग्लास, मोबाइल, बाइक या कार की चाबी आदि सैनिटाइज नहीं हो पाती। ऐसे में कोरोना वायरस से हम पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो पाते। इसी को ध्यान में रखते हुए यह उपकरण बनाया गया है। माइक्रोवेब को चालू करते ही अल्ट्रावायलेट-सी किरणें इसमें रखी वस्तुओं में छिपे बैक्टीरिया या वायरस को पूरी तरह समाप्त कर देती हैं। सबसे जरूरी बात इसमें रखकर सैनिटाइज करने के दौरान इलेक्ट्रानिक उपकरण मसलन मोबाइल, घड़ी, आईपॉड आदि बिल्कुल भी खराब भी नहीं होते।
बनेगा कोरोना योद्धाओं का हथियार
प्रो. पीके मिश्रा के मुताबिक यह उपकरण कोरोना मरीजों के इलाज में लगे डाक्टर, पैरा-मेडिकल स्टाफ, नर्सिग स्टाफ सहित लॉकडाउन का पालन करा रहे पुलिसकर्मियों के लिए बहुत ही कारगर है। इस उपकरण को जल्द बाजार में उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है, ताकि कोरोना से जंग लड़ रहे हमारे योद्धा घर पहुंचकर भी न केवल महफूज रहें, बल्कि उनका परिवार भी सुरक्षित रहे।
NEWS Web Link
आईआईटी बीएचयू ने अब वाहनों को संक्रमण मुक्त करने के लिए अल्ट्रावायलेट डिवाइस तैयार की है। इससे कुछ ही मिनट में चार पहिया वाहन को घातक संक्रमण से मुक्त किया जा सकता है। यह खासकर एम्बुलेंस या ऐसे अन्य सेवा वाहनों के लिए काफी कारगर साबित होगा।
आज वैश्विक महामारी बन चुके कोरोना वायरस से बचाव का एकमात्र उपाय सफाई और सामाजिक दूरी बनाये रखना है। आईआईटी बीएचयू के मालवीय उद्यमिता संवर्धन एवं नवप्रवर्तन केंद्र स्थित एलॉयविंग सॉल्यूशन प्राइवेट लिमटेड के गौरव सिंह ने यूवीसी वेहिकल स्टर्लाइजर का निर्माण किया है। यह स्टर्लाइजर सभी चार पहिया वाहनों में लगाया जा सकता है। इससे सार्स सिंड्रोम कोरोना वायरस, निपाह वायरस और क्रीमियन-कोंगो हेमोरेजिक बुखार के कारक वायरस को खत्म किया जा सकता है।
यह कोरोना योद्धाओं और फ्रंट पर इसका मुकाबला कर रहे लोगों के लिए उपयोगी है। चिकित्सकों, पुलिस, आर्मी के अलावा स्वयंसेवी संस्थाओं के वाहनों को वायरस से मुक्त करने के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। मालवीय उद्यमिता संवर्धन एवं नवप्रवर्तन केंद्र के समनवयक व केमिकल इंजीनियरिंग के प्रो. पीके मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में वाहनों को सेनेटाइज करने के लिए स्प्रे कीटाणुनाशक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे पोंछने की भी आवश्यकता है।
इन कीटनाशक का ज्यादा इस्तेमाल मानव शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। जबकि यूवीसी वेहिकल स्टर्लाइजर द्वारा पराबैंगनी कीटाणुशोधन विकिरण का उपयोग लोगों और कपड़ों को नुकसान पहुंचाए बिना चार पहिया वाहनों एम्बुलेंस, कार, जीप आदि को अधिकतर हानिकारक वायरस से मुक्त कर सकता है। स्टर्लाइजर को वाहन के अंदर क्रियान्वित करने के लिए 12 वोल्ट की बिजली की जरूरत होगी।
आईआईटी बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग के प्रो. पीके मिश्र का कहना है कि आईआईटी अपने सामाजिक दायित्वों का निवर्हन करते हुए कोरोना वायरस से लड़ने को पूरी तरह तैयार है। इस तरह की सभी जरूरतों के लिए प्रशासन का सहयोग करने को पूरी तरह तत्पर है।
NEWS Web Link
बीएचयू आईआईटी के साथ मिलकर काम करने वाले गौरव ने माइक्रोवेव की तरह एक मशीन बनाई है, जिसमें अल्ट्रा वॉयलेट रेस से वायरस का खात्मा का दावा किया गया है
देश में कोरोना वायरस से के बढ़ते खतरे कप देखते हुए बीएचयू आईआईटी ने एक ऐसी मशीन का अविष्कार किया है जिससे छोटी-छोटी चीजें भी सेनेटाइज हो जाएंगी। यह मशीन उन लोगों की सुरक्षा को देखते हुए बनाई गई है जो इमरजेंसी सेवा में लगे हुए हैं। ताकि वायरस से किसी तरह का खतरा न हो सके। इस मशीन को जल्द बाजार में भी उतारने की तैयारी है।
आईआईटी बीएचयू ने शोध में पाया की कर्मचारियों, डॉक्टर और अधिकारी समेत तमाम ऐसे लोग हैं जो खुद तो सेनेटाइजर से बचाव कर पाते हैं, लेकिन इनकी उपयोगी चीजें जैसे बेल्ट, घड़ी, पर्स, चाभी, अंगूठी इत्यादि इत्यादि सामग्री सेनेटाइज नहीं हो पाती जिससे इन्हें इस संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसके लिए बीएचयू आईआईटी के साथ मिलकर काम करने वाले गौरव ने माइक्रोवेव की तरह एक मशीन बनाई है, जिसमें अल्ट्रा वॉयलेट रेस से वायरस का खात्मा का दावा किया गया है। इसे बनाने में दो से तीन दिन लगा है।
मशीन को बनाने वाले गौरव बताते हैं की यह अल्ट्रावायलेट किरणों से कोरोना के वायरस को मार देगी। यह मशीन सी कैटोगरी की अल्ट्रावायलेट किरणें छोड़ती हैं। कोई भी वायरस इसमें 10 से 15 मिनट तक जिंदा नहीं रह सकता। इस मशीन में एक पंखा भी लगा है जो वायरस को रोटेट करके किरणों के नजदीक लाने का काम करता है। बीएचयू आईआईटी के प्रोफेसर डॉ. पी के मिश्रा ने बताया कि इस मशीन को बड़े पैमाने पर मार्केट में लाने के लिए पहल की जा रही है। यह कम लागत में इजाद की हुई एक बढ़िया मशीन है, जिसे डॉक्टर, पुलिस विभाग, सफाई विभाग अपने कर्मचारियों को इस संक्रमण के खतरे से बचाने में मददगार साबित होंगे। निश्चित ही यह मशीन कारगर है।
NEWS Web Link
https://www.patrika.com/varanasi-news/bhu-iit-event-new-machine-for-sanitization-5980130/
वाराणसी। देश में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। लोग अपनी सुरक्षा के लिए पूरा इंतज़ाम कर रहे हैं। लेकिन हमारी रोजमर्रा की कुछ चीजे ऐसी हैं जिनका इस्तेमाल हम रोजाना ही करते हैं। हालांकि अभी लॉकडाउन के चलते लोग घरों में हैं लेकिन जो हमारे लिए बाहर हैं,हमारी सुरक्षा के लिए अस्पतालों आदि में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं उनका क्या? उन्हीं लोगों को ध्यान में रखते हुए बीएचयू आईआईटी ने एक अविष्कार किया है जिससे छोटी छोटी चीजें भी सेनिटाइज हो जाएंगी।
बता दें कि कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच बीएचयू ने एक मशीन है। ये मशीन उन लोगों के सुरक्षा को देखते हुए बनाया है जो इमरजेंसी सेवा में लगे हुए हैं जैसे कि कर्मचारियों, डॉक्टर और अधिकारी। दरअसल इस मशीन का उपयोग बेल्ट, घड़ी, पर्स, चाभी इत्यादि सामग्री को सेनिटाइज करने के लिए बनाया गया है। लॉक डाउन के बीच इमरजेंसी सेवा से जुड़े लोग घर आने के बाद नहाकर कपड़े धुल लेते हैं लेकिन छोटी-छोटी चीजे नहीं धुल पाते इस कारण संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसके लिए बीएचयू आईआईटी के साथ मिलकर काम करने वाले गौरव ने एक माइक्रोवेव की तरह एक मशीन बनाई है। जिसमे अल्ट्रा वॉयलेट रेस से वायरस का खात्मा का दावा किया है।
मशीन इजाद करने वाले गौरव ने बताया कि इस मशीन को बनाने में केवल दो से तीन दिन लगा है। यह अल्ट्रावायलेट किरणों से कोरोना के वायरस को मार देगी। यह मशीन सी कैटोगरी की अल्ट्रावायलेट किरणे छोड़ती है जो आम इंसान के साथ-साथ कीटाणु और वायरस के लिए खतरनाक होती है। कोई भी वायरस इसमें 10 से 15 मिनट तक जिंदा नही रह सकता। इस मशीन में एक पंखा भी लगा है जो वायरस को रोटेट करके किरणों के नजदीक लाने का काम करता है। मशीन में अल्ट्रावायलेट रेज के लिए 2 लाइट लगीं हैं। साथ ही इसमें टेम्प्रेचर और सिलेक्टर के माध्यम इसमें सेटिंग की जा सकती है।
वहीं बीएचयू आईआईटी के प्रोफ़ेसर डॉ पी के मिश्रा ने बताया कि मालवीय उधमिता संवर्धन केंद्र से मिलकर गौरव ने एक मशीन बनाई है जिससे यह छोटी-छोटी चीजें सैनिटाइज हो जाएंगे। मशीन अल्ट्रावायलेट रेस की पद्धति पर काम करती है जो सी कैटेगरी की रेज का निर्माण करती है और वायरस को खत्म करने में कारगर साबित है।
बीएचयू आईआईटी ने अब इसके लिए तैयारी करनी शुरू कर दी है और इसे बड़े पैमाने पर मार्केट में लाने के लिए पहल की जा रही है। यह कम लागत में इजाद किया हुआ एक बढ़िया मशीन है जिसे डॉक्टर, पुलिस विभाग, सफाई विभाग अपने कर्मचारियों को इस संक्रमण के खतरे से बचाने में मददगार साबित होंगे। निश्चित ही यदि या मशीन कारगर साबित है तो कोरोना वायरस के बढ़ते कदम को रोकने के लिए और इमरजेंसी सेवा में लगे हुए लोगों के लिए यह एक अच्छी खबर है जिससे वह संक्रमण से पूरी तरीके से बचने में सफलता हासिल कर सकेंगे।
NEWS Web Link
https://nationalvision.news/corona-update-bhu-iits-new-invention-will-help-fight-corona-in-varanasi/
वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय। कोरोना वायरस का डर हर किसी के मन में है। इस खौफ की वजह से आप बार-बार हाथ धुल रहे हों या फिर सैनेटाइजर का प्रयोग कर रहे हों, लेकिन आपके पास मौजूद चश्मा, घड़ी और अन्य उपकरण भी क्या सैनेटाइज हैं? सवाल बड़ा है, लेकिन वाराणसी के प्रयोगकर्ता ने इस सवाल का हल भी तलाश लिया है।
बीएचयू आईआईटी एमसीआईआई ई विभाग के प्रयोगकर्ता ने एक ऐसा उपकरण बनाया है, जो कोरोना वारियर्स के लिए उपयोगी सिद्ध होने वाला है। इस उपकरण के द्वारा कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे वारियर्स के पास मौजूद सामानों को सैनेटाइज किया जा सकेगा। इस प्रयोग में अल्ट्रावायलेट की सी कैटेगरी की किरणों की बौछार कराई जाती है। ये प्रयोग आपके पास मौजूद घड़ी, पर्स, पेन, चश्मे, मोबाइल, बेल्ट पर मौजूद वायरस और बैक्टीरिया को मारने में सहायक होगा।
आपको बता दें कि चाहें हम हाथ कितना भी धो लें या सैनेटाइजर का प्रयोग कर लें, लेकिन हमारे प्रयोग के सामान अभी भी असुरक्षित होते हैं। घर के बच्चे भी मोबाइल से अक्सर खेलते नजर आ जाएंगे। ऐसे में लॉकडाउन के दौरान प्रयोगकर्ता ने कोरोना वारियर्स की मदद करने की सोची है और घर के माइक्रो ओवन के मॉडल में अल्ट्रावायलेट सी की किरणों का रॉड लगाया और एक उपकरण बनाया। इस उपकरण की लागत लगभग पांच हजार आएगी और आने वाले दिनों में वायरस से निजात के लिए उपयोगी सिद्ध होने वाला है।
आप अगर कहीं बाहर से आ रहे हैं और हाथों में घड़ी, मोबाइल फोन और पर्स हैं, तो घबराइए मत अब एक ऐसा उपकरण तैयार हुआ है, जो दस मिनट में इन सारी चीजों को कोरोना फ्री कर देगा। यूवीसी स्टरलाइजर में इन सारी चीजों के डालकर दस मिनट तक अल्ट्रावायलेट की सी कैटेगरी की किरणों की बौछार कराई जाएगी और इससे पूरी तरह से कोरोना से बचा जा सकता है।
बीएचयू आईआईटी के प्रयोगकर्ता गौरव सिंह के मन में लॉकडाउन के दौरान वारियर्स के प्रयोग में आने वाली चीजों पर भी खतरा है। लिहाजा ये स्टरलाइजर तैयार किया है। हालांकि ये प्रयोग अभी कई दौर से गुजरने के बाद बाजार में आएगा, लेकिन अगर इस प्रयोग पर ध्यान दिया गया, तो आने वाले दिनों में कोरोना से बचाव के तौर पर एक बड़े हथियार के रूप में इसे प्रयोग किया जा सकता है।
NEWS Web Link
Varanasi: An incubated company of MCIIE, IIT BHU has developed a low cost multi utility sterilization chamber for essential belongings such as Mobile, purse, key, belt.
“These things are generally not sterilized by even those who are at high risk of infection from corona such as health, sanitation and security personnel,” said Prof PK Mishra, Coordinator, MCIIE and mentor of the project.
According to him, a cabinet based on the principle of UV germicidal irradiation using C band of UV radiation has been developed by this incubated company owned by Gaurav Singh. The device has two UV lamps having capacity 21 watts. Any virus can be deactivated up to 99% by the UVGI dose of 2400 microwatt.sec/cm2.
The device ensures the dose in excess of this to ensure complete inactivation of corona virus. This device is also working on auto timer to ensure the safety of user against the UV dose. This device will be available in the price range of approx. Rs 5000 and can be used by common man to ensure safety from deadly virus. The air circulation within the cabinet ensures complete exposer to incident UV radiation.
NEWS Web Link
Malaviya Centre for Innovation Incubation and Entrepreneurship (MCIIE), IIT-BHU has developed a UVC sterilizer to sanitize personal accessories, including mobile phone, wallets, vehicle key, pen and wristwatch.
Prof PK Mishra, who heads the MCIIE, IIT-BHU, said that the sterilizer is using UV radiation of C band. This is an electricity operated sterilizer and produces ultraviolet rays which kill the microorganism like virus, bacteria and function on the surface of mobile and other accessories within five to six minutes after these items are placed inside it. The UV GI dose required for killing corona virus is approximately 2400 micro watt.sec/cm2. The cabinet ensures the irradiation more than required in the range of 4000 micro watt.sec/cm2.
Prof Mishra said that it is advised to put the accessories like key, mobile phones in the sterilizer and set the timer for 5-6 minutes so that it automatically switches off after killing germs.
Prof Mishra said that Gaurav Singh, an Incubetee at MCIIE, IIT-BHU has developed the sterilizer within three days. Its trial has been successfully.
Guarav Singh said that it would cost between Rs 4,000 and Rs 5000. It can be widely used by hospitals, operation theatres, isolation wards, health workers, sanitation workers, police personnel, houses, hotels and hostels. He is now working to develop a sterilizer for the ambulances.
rof PK Mishra, who heads the MCIIE, IIT-BHU, said that the sterilizer is using UV radiation of C band. This is an electricity operated sterilizer and produces ultraviolet rays which kill the microorganism like virus, bacteria and function on the surface of mobile and other accessories within five to six minutes after these items are placed inside it. The UV GI dose required for killing corona virus is approximately 2400 micro watt.sec/cm2. The cabinet ensures the irradiation more than required in the range of 4000 micro watt.sec/cm2.
Prof Mishra said that it is advised to put the accessories like key, mobile phones in the sterilizer and set the timer for 5-6 minutes so that it automatically switches off after killing germs.
Prof Mishra said that Gaurav Singh, an Incubetee at MCIIE, IIT-BHU has developed the sterilizer within three days. Its trial has been successfully.
Guarav Singh said that it would cost between Rs 4,000 and Rs 5000. It can be widely used by hospitals, operation theatres, isolation wards, health workers, sanitation workers, police personnel, houses, hotels and hostels. He is now working to develop a sterilizer for the ambulances.